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मनु की मूर्ति हाई कोर्ट जयपुर से हटाई जाए , यह संविधान विरोधी है ... चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट




सुप्रीम कोर्ट लॉयर एडवोकेट चेतन बैरवा का कहना है की आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत तथा प्रधान मंत्री मोदी को भी बाबा साहब अम्बेडकर की तरह सरे आम देश की जनता के सामने मनु स्मृति जलाकर यह परीक्षा पास करनी  होगी कि वो वर्ण व्यवस्था विरोधी हैं , वो मनुवाद के खिलाफ हैं । वरना तो भारत के एससी , एसटी , ओबीसी के लोग यह मान कर बैठे ही हुए हैं कि आर एस एस तथा बीजेपी के लोग हिंदू राष्ट्र बनाने के नाम पर , अंदर ही अंदर , देश में फिर से मनु स्मृति लागू करने की तैयारी कर चुके हैं , जहां ओबीसी के लोगो को शुद्र बनकर जीना पड़ेगा , तो एससी के लोगो को अछूत तथा एसटी के लोगो को वनवासी बनकर । कुछ ही दिनों पहले मैंने राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ति को हटाए जाने बाबत एक जन हित याचिका , तलावड़ा गांव ( गंगापुर सिटी , राजस्थान ) निवासी रामजीलाल बैरवा तथा जगदीश प्रसाद गुर्जर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर  खारिज कर दिया कि याचिका में ऐसे कोई ठोस कारण नजर नहीं आते हैं जिसके कारण याचिका को जन हित याचिका के रूप में Entertain किया जाए । जबकि याचिका पूरी तरह से ठोस कारण से भरी हुई थी जिसमें मनु स्मृति में बताए  लगभग उन सभी श्लोक का वर्णन था जो भारतीय संविधान में भारतीय नागरिकों को दिए हुए मूलभूत अधिकारों का हनन करते हैं । याचिका में मैने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि खुद हाई कोर्ट ही संविधान के आर्टिकल 214 की बदौलत खड़ा हुआ है , फिर वह अपनी सीमा में मनु की मूर्ति को कैसे लगने दे सकता है जो कदम कदम पर संविधान विरोधी है । इस याचिका को लगाने से पहले मैने याचिका कर्तावों की तरफ से राजस्थान हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को , राजस्थान सरकार के मुख्य  सचिव , राजस्थान सरकार के डायरेक्टर जनरल पुलिस तथा भारत सरकार के ग्रह सचिव को मूर्ति हटाये जाने का कानूनी नोटिस भेजा । परंतु उन्होंने ना मूर्ति हटाने का कोई प्रयास किया और ना ही मेरे नोटिस का कोई जवाब नही दिया । 

चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट , मो 85 11 31 63 41 , 14 नवंबर 2023 , फेस बुक

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