एक समय भगवान कजंगल के वेळुवन में विहार कर रहे थे। तब कजंगल के बहुत से उपासक कजंगलिका भिक्खुनी के सम्मुख गए। पास जाकर कजंगलिका भिक्खुनी को अभिवादन कर एक ओर बैठ गए।
एक ओर बैठे कजंगल के उपासकों ने कजंगलिका की भिक्खुनी को यह कहा -
" अय्या!
भगवान ने महाप्रश्नों में यह कहा है -
'एक प्रश्न, एक कथन, एक व्याख्या;
दो प्रश्न, दो कथन, दो व्याख्यायें;
तीन प्रश्न, तीन कथन, तीन व्याख्यायें;
चार प्रश्न, चार कथन, चार व्याख्यायें;
पांच प्रश्न, पांच कथन, पांच व्याख्यायें;
छह प्रश्न, छह कथन, छह व्याख्यायें;
सात प्रश्न, सात कथन, सात व्याख्यायें;
आठ प्रश्न, आठ कथन, आठ व्याख्यायें;
नौ प्रश्न, नौ कथन, नौ व्याख्यायें;
दस प्रश्न, दस कथन, दस व्याख्यायें। '
अय्या!
भगवान के द्वारा जो यह संक्षेप में कहा गया, इसका विस्तृत अर्थ क्या है? "
“आयुष्मानो!
न तो मैंने यह व्याख्या भगवान से सुनी या भगवान से ग्रहण की है, न मैंने यह व्याख्या संयत भिक्खुओं से सुनी या ग्रहण की है, लेकिन जैसे मैं समझती हूं, वैसे कहती हूं। अच्छी प्रकार सुनो। मन में धारण करो। कहती हूं।"
“अय्या! अच्छा।” कह कजंगल के उपासकों ने कजंगलिका, भिक्खुनी को प्रतिवचन दिया।
कजंगलिका भिक्खुनी ने यह कहा -
1. आहार -
'एक
प्रश्न, एक कथन, एक व्याख्या' जो कहा गया,
यह किस अर्थ में कहा्ऐलँ
गया?
आयुष्मानो!
एक विषय (=धर्म) में सम्पूर्ण निर्वेद प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण वैराग्य होने पर, सम्पूर्ण त्याग होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है।
किस एक विषय (धम्म) में -
'सभी प्राणियों की स्थित 'आहार' पर निर्भर रहती है' - इस एक विषय में सम्पूर्ण निर्वेद प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण वैराग्य प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण त्याग होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है।
'एक प्रश्न, एक कथन, एक व्याख्या' जो कहा गया, यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
2. 'नाम' तथा 'रूप' -
'दो प्रश्न, दो कथन, दो व्याख्यायें' जो कहा गया,
यह किस अर्थ में कहा गया ?
आयुष्मानो!
दो विषयों में सम्पूर्ण निर्वेद प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण वैराग्य होने पर, सम्पूर्ण त्याग होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
किन दो विषयों में?
'नाम' तथा 'रूप' - इन दो विषयों में सम्पूर्ण निर्वेद प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण वैराग्य होने पर, सम्पूर्ण त्याग होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ का हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है।
'दो प्रश्न, दो कथन, दो व्याख्यायें' जो कहा गया, यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
3. तीन वेदनाएं -
'तीन प्रश्न, तीन कथन, तीन व्याख्यायें' जो कहा गया,
यह किस अर्थ में कहा गया?
आयुष्मानो!
तीन विषयों में सम्पूर्ण निर्वेद प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण वैराग्य होने पर, सम्पूर्ण त्याग होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
किन तीन विषयों में?
'तीन वेदनाओं' के विषय में सम्पूर्ण निर्वेद प्राप्त होने पर, संपूर्ण वैराग्य होने पर, संपूर्ण त्याग होने पर, संपूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है।
'तीन प्रश्न, तीन कथन, तीन व्याख्याएं' यह जो कहा गया, यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
4. चार सतिपट्ठान -
'चार प्रश्न, चार कथन, चार व्याख्यायें' जो कहा गया,
यह किस अर्थ में कहा गया?
आयुष्मानो!
चार विषयों में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता हैं।
किन चार विषयों में?
आयुष्मानो!
चार स्मृति-उपस्थानों के विषय में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है।
'चार प्रश्न, चार कथन, चार व्याख्यायें' जो कहा गया, यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
5.पांच इन्द्रिय -
'पांच प्रश्न, पांच कथन, पांच व्याख्यायें' जो कहा गया,
वह किस अर्थ में कहा गया?
आयुष्मानो!
पांच विषयों में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दुख का क्षय करने वाला होता है ।
किन पांच विषयों धर्मो में ?
आयुष्मानो!
'पांच इन्द्रिय' में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
'पांच प्रश्न, पांच कथन, पांच व्याख्यायें' जो कहा गया,
यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
6.छ: धातुएं -
'छ: प्रश्न, छ: कथन, छ: व्याख्यायें' जो कहा गया,
वह किस अर्थ में कहा गया?
आयुष्मानो!
छ: विषयों में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
किन छ: विषयों में ? -
आयुष्मानो!
'किन छ: विषयों में ?
'छ: मुक्त करने वाली धातुओं' के विषय में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
'छ: प्रश्न, छ: कथन, छ: व्याख्यायें' जो कहा गया,
यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
7.सात बोधि के अंग -
'सात प्रश्न, सात कथन, सात व्याख्यायें' जो कहा गया,
वह किस अर्थ में कहा गया?
आयुष्मानो!
सात विषयों में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
किन सात विषयों में ?
आयुष्मानो!
'सात बोधि-अंगों' के विषय में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
'सात प्रश्न, सात कथन, सात व्याख्यायें' जो कहा गया,
यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
8. अरिय अष्ठांगिक मार्ग -
'आठ प्रश्न, आठ कथन, आठ व्याख्यायें' जो कहा गया,
वह किस अर्थ में कहा गया?
आयुष्मानो!
आठ विषयों में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
आयुष्मानो!
किन आठ विषयों में?
'अरिय-मार्ग के आठ अंगों' के विषय में सम्पूर्ण अभ्यस्त होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर, इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है।
'आठ प्रश्न, आठ कथन, आठ व्याख्यायें' यह जो कहा गया, यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
9. नौ सत्वावास
'नौ प्रश्न, नौ कथन, नौ व्याख्यायें' यह जो कहा गया,
यह किस अर्थ में कहा गया,?
आयुष्मानो !
नौ विषयों में निर्वेद प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण होने पर, सम्पूर्ण त्याग होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख को क्षय करने वाला होता है।
किन नो विषयों में?
आयुष्मानो!
'नौ सत्वावासों' (प्राणियों के लोको) में निर्वेद प्राप्त होने पर, सम्पूर्ण वैराग्य होने पर, सम्पूर्ण त्याग होने पर, सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है 'नौ प्रश्न, नौ कथन, नौ व्याख्यायें यह जो कहा गया, यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया।
10. दस कुशल कर्म
'दस प्रश्न, दस कथन, दस व्याख्यायें' यह जो कहा गया, यह किस अर्थ में कहा गया?
आयुष्मानो !
दस विषयों में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर सम्पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है।
किन दस विषयों में ?
आयुष्मानों!
'दस कुशल कर्मों' में, इन दस विषयों में सम्पूर्ण अभ्यास होने पर, सम्पूर्ण से ज्ञान हो जाने पर, सम्यक प्रकार से परमार्थ को हस्तगत कर इसी जन्म में दु:ख का क्षय करने वाला होता है ।
'दस प्रश्न, दस कथन, दस व्याख्यायें, यह जो का गया, यह भगवान द्वारा इसी अर्थ में कहा गया। "
"आयुष्मानों!
जो कुछ भगवान ने महाप्रश्नों में संक्षेप में कहा है, कि -
'एक प्रश्न, एक कथन, एक व्याख्या;
दो प्रश्न, दो कथन, दो व्याख्यायें;
तीन प्रश्न, तीन कथन, तीन व्याख्यायें;
चार प्रश्न, चार कथन, चार व्याख्यायें;
पांच प्रश्न, पांच कथन, पांच व्याख्यायें;
छ: प्रश्न, छ: कथन, छ: व्याख्यायें;
सात प्रश्न, सात कथन, सात व्याख्यायें;
आठ प्रश्न, आठ कथन, आठ व्याख्यायें;
नौ प्रश्न, नौ कथन, नौ व्याख्यायें;
दस प्रश्न, दस कथन, दस व्याख्यायें हैं। '
मैं उसका विस्तृत अर्थ इस प्रकार जानती हूँ ।
आयुष्मानो !
यदि तुम चाहो तो तुम भगवान के पास जाकर उनसे भी इसकी व्याख्या पूछ सकते हो। जैसे भगवान व्याख्या करें, वैसे धारण करना। "
''अय्या !
ऐसा ही।" कह कजंगल के उपासकों ने कजंगलिका भिक्खुनी के कथन का अभिनन्दन किया, अनुमोदन किया और वे आसन से उठकर कजंगलिका भिक्खुनी को प्रणाम कर, प्रदक्षिणा कर जहां भगवान थे, वहां पहुंचे। वहां जाकर भगवान को प्रणाम कर एक ओर बैठे।
एक ओर बैठे कजंगल के उपासकों ने कजंगलिका भिक्खुनी से जितनी बातचीत हुई थी, सब भगवान की सेवा में निवेदन कर दीं।
“गृहपतियो ! बहुत अच्छा !
बहुत अच्छा ! गृहपतियो !
कजंगलिका भिक्खुनी पण्डिता है।
गृहपतियो!
कजंगलिका भिक्खुनी महाप्रज्ञावती है।
गृहपतियो !
यदि तुम मेरे पास आकर भी यही बात पूछो, तो मैं भी इसकी उसी तरह व्याख्या करूंगा, जैसे कजंगलिका भिक्खुनी ने की है। यही उसका अर्थ है। इसे इसी प्रकार ग्रहण करो। "
नमो बुद्धाय🙏🙏🙏
Ref: महा-पञ्हा सुत्त:अंगुत्तर-निकाय
18.10.2023
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