सुप्रीम कोर्ट लॉयर एडवोकेट चेतन बैरवा ने कहा कि मैने कभी कांग्रेसी सांसद डी के प्रभु तथा पाकिस्तान के निर्माता मोहम्मद अली जिन्ना की तरह भारत के विभाजन की मांग नही की। लेकिन मैंने वर्ण व्यवस्था तथा जातिवाद का हमेशा खुलकर विरोध किया। मैने हमेशा यह माना कि जातिवाद इस देश की सबसे बड़ी समस्या है जिसे मिटाना होगा । यह वर्ण व्यवस्था तथा जातिवाद का ही दुष्परिणाम है जिसके चलते केवल मूंछ रखने के कारण जितेंद्र मेघवाल नाम के युवक की जनरल के लोगो ने हत्या करदी , केवल पानी का घड़ा छूने मात्र पर ही जनरल के एक टीचर ने एक 9 साल के इंद्र मेघवाल नाम के बच्चे को स्कूल परिसर में ही इतना मारा , इतना मारा कि बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई । जातिगत विषमताओं के कारण मैंने 9.4.2014 को आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत को एक लेटर लिखा जिसमें मैने साफ लिखा कि जातिवाद के चलते देर सवेर इस देश का एक और विभाजन हो सकता है। उस लेटर का आर एस एस ने जवाब तो दिया लेकिन यह नही लिखा कि हम जातिवाद तथा वर्ण व्यवस्था को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं । वर्ण व्यवस्था तथा जादीवाद को हतोत्साहित करने के लिए ही मैने 13 जनवरी 2023 को , राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर से वर्ण व्यवस्था तथा जातिवाद के जनक , मनु की मूर्ति को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की यह कहते हुए कि मनु की मूर्ति का हाई कोर्ट जयपुर में लगा होना पूरी तरह असैंवधानिक है । हाई कोर्ट स्वयं भारत के संविधान के आर्टिकल 214 की ताकत के बल पर खड़ा है। फिर वहां संविधान विरोधी मूर्ति के लगे होने का क्या औचित्य है । लिहाजा सुप्रीम कोर्ट राजस्थान हाई कोर्ट को , राजस्थान सरकार को तथा भारत सरकार को मनु की मूर्ति हटाने के आदेश दे । लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मेरी बात नही सुनी और मेरी उस याचिका को खारिज कर दिया , यह कहते हुए कि याचिका में ऐसे कोई आधार नहीं जिसके कारण याचिका को जनहित याचिका के रूप में ट्रीट किया जाए । जबकि याचिका पूरी तरह कानूनी आधारों से भरी पड़ी थी । अगले ही दिन मैंने अपना बयान जारी कर दिया यह कहते हुए कि अब हम भारत में एससी एसटी ओबीसी की 75 % जनता के मूल अधिकारों के व्यापक हनन का मामला मानते हुए मनु की मूर्ति को हटवाने के लिए अंतर राष्ट्रीय न्यायालय , हॉलैंड की राजधानी , हेग जाएंगे जो संयुक्त राष्ट्र संघ का हिस्सा है । संयुक्त राष्ट्र का सदस्य वही देश बन सकता है जो संयुक्त राष्ट्र संघ में मानव अधिकारों के पालन करने की गारंटी देता हो । भारत ने एक तरफ तो संयुक्त राष्ट्र संघ में मानव अधिकारों के पालन की गारंटी भी दे रखी है दूसरी तरफ यहां मानव अधिकारों का पालन भी नही होता । कभी यहां किसी आदिवासी के मुंह पर पीसाब कर दिया जाता है , तो कभी मणिपुर में आदिवासी महिलाओं को नंगा करके रोड पर घुमाया जाता है । अफसोस की बात यह है कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल हो जाने के बावजूद भी केंद्र की बीजेपी सरकार ना तो मनीपुर में आर्टिकल 356 के तहत राज्यपाल शासन लागू करती है और ना ही प्रधान मंत्री मोदी वहां का दौरा करते हैं । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मनीपुर में भी बीजेपी की ही सरकार है। मनीपुर के आदिवासियों के साथ आगे अत्याचार नहीं हों इस बात की गारंटी देने के लिए भारत का प्रधान मंत्री मोदी आज तक मनीपुर नही गया । मुसलमानो पर भी गाय हत्या के नाम पर झूंटे केस दर्ज किए जाते हैं , बीफ खाने के नाम पर उनकी मोब लिंचिंग कर दी जाती है । आखिर यह सब कब तक चलता रहेगा । मेरा मानना है कि कांग्रेसी सांसद डी के सुरेश की भारत के दक्षिण राज्यों को मिलाकर एक अलग देश बनाए जाने की मांग , भारत में जातिवाद विषमताओं के चलते से हुई है। उनकी इस मांग के पीछे यही एक प्रमुख वजह है और कोई नही । में यह भी मानता हूं कि मुसलमानो के प्रति नफरत का माहोल भी आगे चलकर मुसलमानो में , एक अलग देश की मांग को जन्म दे सकता है । भारत के मुसलमान कही बाहर से आए हुए लोग नही हैं बल्कि वो जातिवाद के चलते एससी एसटी ओबीसी में से ही कनवर्ट हुए लोग हैं , जिनके साथ नफरत करना भारतीय संविधान तथा मानवीय अधिकारों का खुला उल्लंघन है । ,,,, चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट , मो 85 11 31 63 41 , 4 फरवरी 2024 , फेस बुक
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