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ओबीसी के लोग वर्ण व्यवस्था के जहर को रोज घूंट घूंट पीते रहते है ,,,, चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट


प्रदीप प्रजापति अपनी फेस बुक पोस्ट के जरिए देश के समस्त प्रजापतियों से , कुम्हारों से कह  रहे हैं कि वर्ण व्यवस्था बनाने वालों ने उन्हे शुद्र समझ कर कभी पढ़ने लिखने नही दिया । ,,,,  फिर भी ये लोग , वर्ण व्यवस्था बनाने वालो के यानी कि जातीयां बनाने वालो के क्यों चिपके रहते हैं  ?  ओबीसी के लोगो की जनसंख्या भी 60 % के आसपास है लेकिन आरक्षण भी इनको केवल  27 % ही दिया जा रहा और वो भी पूरा नहीं दिया जा रहा है । ,,,,  इन ओबीसी के लोगो को अपने भले बुरे का तो ज्ञान तो कम से कम होना चाहिए लेकिन ये समझते ही नही हैं बल्कि मनुवाद को अपने कंधो पर ढोते रहते हैं ।  ,,,,,  समस्त ओबीसी के लोगो का यही हाल है । चाहे ये यादव हो , जाट हो , माली हो , कुम्हार हो , कारपेंटर हो , नाई हो , पटेल हो , गुर्जर हो , तेली हों । ,,,,,  ब्राह्मण , बनिए , राजपूत इन्हे कुछ समझते नही , वो इनको चौथे वर्ण में शामिल करते हुए इनको शुद्र समझते हैं । और उस बात को जानकर ओबीसी के लोगो को मन ही मन चिड् भी होती है । लेकिन फिर भी ये लोग उसी हिंदू धर्म के चिपके हुए रहते है , उससे दूर नहीं हटते । ये ओबीसी के लोगो की नासमझदारी नही तो और क्या है । ,,,,  हिसार से बीजेपी के पूर्व सांसद डॉक्टर राजकुमार सैनी आजकल चीख चीख कर कह रहे हैं कि हम ओबीसी के लोग हिंदू नहीं बल्कि बुद्धिस्ट हैं ।  ,,,,  खुद सैनी समाज के लोग , माली समाज के लोग अपने ही समाज के महान समाज सुधारक ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फुले की जीवनी को पढ़ना नहीं चाहते , इससे बुरी बात और क्या होगी । 

चेतन बैरवा  ,,,,  एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट  ,,,,  मो 85 11 31 63 41 ,,,, 15 अक्टूबर 2023  ,,,, फेस बुक

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