राजस्थान सरकार ने बैरवा समाज के लोगो के विकास के लिए बाली नाथ बोर्ड का गठन किया है , लेकिन इसे में ठीक नही मानता । क्योंकि यह जातिवाद को बढ़ावा देता है । में सरकार के इस फैसले से सहमत नही हूं । ,,,, गहलोत सरकार ने ब्राह्मणों के विकास के लिए भी विप्र बोर्ड का गठन किया है लेकिन में उसे भी ठीक नही मानता । क्योंकि वह भी जातिवाद को बढ़ावा देता है । ,,,, असल में यह गहलोत सरकार द्वारा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का एक तरीका है जो गलत है । ऐसे बोर्डो के गठन से कुछ नही होने वाला , हां कुछ चमचे किस्म के लोग अध्यक्ष उपाध्यक्ष बन कर सरकारी खजाने को जरूर लूटते रहेंगे । आज जरूरत है जातिवाद को खतम करने की जबकि सरकार खुद ही ऐसी गतिविधियों के द्वारा जातिवाद को बढ़ावा दे रही हैं । सरकार के ये फैसले भारतीय संविधान की समता मूलक सोच के खिलाफ हैं जिनको में राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में जन हित याचिका के माध्यम से चुनौती दे सकता हूं । यूं तो कल को मीना समाज के लोग कहेंगे कि हमारा भी अलग बोर्ड बनना चाहिए , गुर्जर और कुम्हार समाज कहेगा कि हमारा भी अलग बोर्ड बनना चाहिए । नाई और तेली कहेंगे कि हमारा भी अलग बोर्ड बनना चाहिए । जाट और यादव कहेंगे कि हमारा भी अलग बोर्ड बनना चाहिए । धोबी और खटीक कहेंगे कि हमारा भी अलग बोर्ड बनना चाहिए । वाल्मीकि समाज कहेगा कि हमारा भी अलग बोर्ड बनना चाहिए । आखिर ये क्या तमाशा है सरकार का संविधान के आर्टिकल 14 के खिलाफ जाकर इस तरह के फैसले लेने का । में ऐसे फैसलों से सहमत नही हूं और उनको असंवैधानिक मानता हूं । लिहाजा जल्द ही सरकार के इन फैसलों के खिलाफ मैं हाई कोर्ट जयपुर में जन हित याचिका दायर कर सकता हूं ।
चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट , मो 85 11 31 63 41 ,,,, 15 अक्टूबर 2023 ,,,, फेस बुक
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