"न हि पापं कतं कम्मं,
सज्जु खीरं व मुच्चति।"
जैसे ताजा दूध तुरंत नहीं जम जाता है,उसी प्रकार कृत पाप कर्म शीघ्र फल नहीं लाता है।
"डहन्तं बालमन्वेति,
भस्मच्छन्नो व पावको।।"
राख से ढंकी आग की तरह जलाता हुआ वह (पाप) मूर्ख का पीछा करता है।
भगवान बुद्ध के समय एक दिन राजगृह में थेर महामोग्गलान भन्ते लक्ष्मण थेर के साथ भिक्खाटन कर रहे थे। रास्ते में चलते चलते महामोग्गलान थेर कुछ देखकर मुस्कुरा दिए। लक्ष्मण थेर की समझ में कुछ नहीं आया। उसने कुछ देखा भी नहीं। महामोग्गलान के मुस्कुरा ने का वज़ह नहीं जान सके। इसलिए लक्ष्मण थेर ने महामोग्गलान थेर को मुस्कुरा ने का कारण पूछा। महामोग्गलान ने बताया कि विहार में वापस पहुंच कर तथागत के सामने मुस्कुरा ने का कारण बतायेंगे।
भिक्खाटन कर ने के बाद दोनों विहार में वापस पहुंच कर जहां भगवान थे वहां जाकर वंदना करके भगवान को आज की घटना के विषय में कहा।
वृतांत सुनकर तथागत ने कहा- " मैंने भी वैसा ही सम्बोधि प्राप्ति के दिन देखा था। लेकिन मैंने इसका उल्लेख किसी से भी नहीं किया कि कहीं लोग मेरी कही बात पर विश्वास नहीं करेंगे तो उनका अहित हो जाएगा।"
भगवान ने भिक्खुसंघ को सम्बोधित करते हुए कहा-
प्राचिन काल में वाराणसी में नदी के किनारे एक प्रत्येक बुद्ध की कुटिया थी। नजदीक में एक किसान की जमीन थी। किसान ने एक दिन प्रत्येक बुद्ध की कुटिया को जला दिया। इस पाप कर्म के कारण वह मरकर गृद्धकूट पर्वत पर अहिप्रेत के रुप में अपने किेए हुए पाप कर्म का फल भुगत रहा है।"
भगवान ने कहा -
"न हि पापं कतं कम्मं,
सज्जु खीरं व मुच्चति।
डहन्तं बालमन्वेति,
भस्मच्छन्नो व पावको।।"
पाप को भी पकने में समय लगता है, इस सत्य को जानकर पाप कर्म न करें, पुण्य कर्म करें, यही बुद्धों की शिक्षा है।
नमो बुद्धाय🙏🏻🙏🏻🙏🏻
15.10.2023
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