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हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार ओबीसी ही असली शुद्र हैं ।



सुप्रीम कोर्ट लॉयर एडवोकेट चेतन बैरवा का कहना है कि ओबीसी ही असली शुद्र है । और अगर ओबीसी स्वयं को शुद्र नही मानती , शुद्र कहते ही उसे बुरा लगता है और वह खुद को हिंदू मानती है तो वह राम चरित मानस में से " ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ये सब ताड़न के अधिकारी " वाली चौपाई को आर एस एस से या बीजेपी से या नरेंद्र मोदी से हटवाकर दिखवाए । क्योंकि शुद्र शब्द का प्रयोग राम चरित मानस में तुलसी दास ने उन्ही के लिए किया है । और अगर वो मानते हैं कि तुलसीदास ने शुद्र शब्द का प्रयोग उनके लिए नही किया तो वे अपने आप को आर एस एस से या बीजेपी से या नरेंद्र मोदी से ब्राह्मण , क्षत्रिय या फिर वैश्य , तीनों में से किसी एक वर्ण में शामिल होने का प्रेस नोट जारी करवाकर दिखवाये ताकि दुनिया को पता चले कि ओबीसी शुद्र नही हैं। इसके अलावा अगर ओबीसी यह मानती है कि वह शुद्र नही तो फिर वह 52 % आरक्षण का लाभ लेने से मना करने की घोषणा का प्रेस नोट खुद अपनी तरफ से जारी करके दिखाए । वरना यह माना जायेगा कि वो ही राम चरित मानस में वर्णित शुद्र है तथा वो ही मनु स्मृति में बताए गए शुद्र हैं। असल में मनु वादियों ने ओबीसी के शुद्र नाम लेबल ( स्टिकर ) लगाकर उन्हे अपमानित करने का काम किया है जिसे ना वो हटा पा रहे हैं और ना स्वीकार कर पा रहे हैं । इन हालात में ओबीसी को सोच लेना चाहिए कि कितनी खराब स्तिथि मनुवादियों ने उनकी कर रखी है । इसके अलावा अन्य खास बात यह यह भी है कि आर एस एस तथा बीजेपी , इन्ही मनुवादियों द्वारा बनी है जिसे ओबीसी अपने कंधो पर ढोहने का काम कर रही है। एक तो मनुवादियों ने शुद्र नाम देकर ओबीसी को अपमानित किया है उप्पर से उन्हीं से मनुवादी यह भी कहलवा रहे है कि " गर्व से कहो कि हम हिंदू हैं "। बना दिए ना मूर्ख ओबीसी को मनुवादियों ने । 

चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट , मो 85 11 31 63 41 , 27 नवंबर 2023 , फेस बुक

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