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🌻 धम्म प्रभात 🌻

🌻 धम्म प्रभात 🌻

( अग्र श्रावक भिक्खुणियां ) 

बुद्ध धम्म में स्त्रियां समान रूपसे सम्मानित होती है।
भिक्खु-संघ और  भिक्खुणी-संध तथागत के जीवनकाल में स्थापित हो चुके थे। भिक्खु-संध की स्थापना सारनाथ में हुई और भिक्खुणी-संध की स्थापना वैशाली में हुई थी।  भिक्खुओं के लिए  227 विनय है, तो भिक्खुणियों के लिए 311 विनय है। भिक्खुओं के विनय से भिक्खुणियों के लिए  विनय ज्यादा है। यह प्रश्न किसी- किसी के मन में उठता है। ऐसा क्युं? इस में कुदरती कारण है। सम्मान के लिए स्त्री और पुरुष एक समान है, लेकिन प्राकृतिक भेद के कारण तथागत ने कुछ अधिक नियम भिक्खुणियों के लिए बनाए ताकि शील भंग की संभावना टाली जाय। 

तथागत के धम्म में स्त्री भी निर्वाण प्राप्त कर सकती है, अर्हन्त हो सकती है। ऐसी अर्हंत भिक्खुणीओं को तथागत ने अग्र स्थान दिया है। 

भगवान ने स्वयं भिक्खुणिओं की प्रसंशा करते हुए  कहा- 

भिक्खुओ! मेरी भिक्षुणी- श्राविकाओं में ये अग्र हैं- 

1) महाप्रज्ञावतियों में अग्र खेमा
( मद्रदेश, सागल ( स्यालकोट) नगर, राजपुत्री, मगधराज) बिम्बिसार की राणी। 

2) ॠद्धिमतियों में अग्र उप्पलवण्णा ( कोशल, श्रावस्ती, श्रेष्ठी कुल) 

3) विनय-धारियों में अग्र पटाचारा ( कोशल,श्रावस्ती, श्रेष्ठी कुल) 

4) धम्म-कथा कहनेवालियों में अग्र धम्मदिन्ना ( मगध,राजगृह, 
विसाख श्रेष्ठी की भार्या) 

5) ध्यानियों में अग्र  नन्दा
(शाक्य, कपिलवस्तु, महाप्रजापति गोतमी की पुत्री)

6) अत्यधिक प्रयत्नशीलों में अग्र सोणा (कोसल, श्रावस्ती, कुलगृह) 

7) दिव्यचक्षुवालियों में अग्र बकुला ( कोसल, श्रावस्ती, कुलगृह) 

8) क्षिप्र- अभिज्ञा प्राप्त  करने वालियों में अग्र भद्दा कुण्डलकेसा ( मगध, राजगृह, श्रेष्ठी कुल) 

9) पूर्वजन्म अनुस्मरण  करने वालियों में अग्र भद्दा कापिलानी (मद्रदेश, सागलनगर, ब्राह्मण कुल, महाकस्सप भार्या ) 

10) महा अभिज्ञाप्राप्तों में अग्र  भद्दकच्चाना ( शाक्य, कपिलवस्तु, राहुलमाता, देवदहवासी सुप्पबुद्ध शाक्य की पुत्री, खत्तिय) 

11) मोटे ( रूक्ष ) चीवर   धारण  करने वालियों  में अग्र  किसागोतमी ( कोसल, श्रावस्ती, वैश्य) 
12) श्रद्धाधिमुक्तों में अग्र  सिङ्गालकमाता ( मगध, राजगृह, श्रेष्ठी कुल)

बुद्ध ने स्वयं  श्रावक भिक्खुणियों की प्रशंसा की है।

वैसे ही श्रावक भिक्खुओं की प्रशंसा की है।
 इतना ही नहीं बुद्ध ने श्रावक उपासक एवं उपासिकाओं की भी  प्रशंसा की है।

नमो बुद्धाय🙏🙏🙏 
06.02.2024

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