फस्सो- स्पर्श
( प्रतीत्य समुत्पाद की छठी कडी )
षडायतन पच्चया फस्सो ।
छः आयतन के कारण (प्रत्यय) से स्पर्श ।
इन्द्रिय और विषय का संयोग ही स्पर्श हैं ।
चक्षु, श्रोत्र, ध्राण, जिह्वा, काय और मन के विषय छः स्पर्श आयतन हैं ।
तथागत बुद्ध ने कहा -'
"आनंद ! ये आध्यात्मिक (शरीर के भीतर ) बाह्य आयतन हैं -
1) चक्षु और रूप
2) श्रोत्र और शब्द
3) ध्राण और गंध
4) जिह्वा और रस
5) काय और स्प्रष्टव्य
6) मन और धर्म
इस प्रकार स्पर्शेन्द्रियों के विषय हैं - रूप, शब्द, गंध, रस, तथा काय-स्प्रष्टव्य ।"
संसार में चक्षु -स्पर्श प्रियकर हैं, संसार में चक्षु - स्पर्श में मजा हैं ।
वैसे ही-श्रोत्र-स्पर्श, ध्राण - स्पर्श, जिह्वा -स्पर्श, काय - स्पर्श, मन - स्पर्श में लोग मजा लेते हैं । इन्हीं में तृष्णा पैदा होती हैं, और इन्हीं में यह अपना घर बनाती हैं ।
इसी तरह ये छः इन्द्रियां स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना (अनुभूति) प्रियकर हैं, और उसी में लोग मजा लेते हैं। इन्हीं में तृष्णा पैदा होती हैं, और इन्हीं में वह अपना घर बनाती हैं।
इसी तरह ये छः इन्द्रियों रूप देखकर, शब्द सुनकर, गंध सूंघकर, जिह्वा से रस चखकर, काया से स्पर्श करके और मन के विषय का चिंतन करके प्रिय लगे तो राग जगाती हैं और अप्रिय लगे तो द्वेष जगाती हैं । इस कारण से सुख -दु:ख का अनुभव होता हैं और राग-द्वेष की श्रृंखला बढती जाती हैं ।
नमो बुद्धाय🙏🏼🙏🏼🙏🏼
02.05.2024
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