[ कल्याणकारी मित्र कैसा चुने? ]
हम सदा ऐसे साथी चुनें ,जो घम्म प्रचार प्रसार में सहायक हो, कल्याणमित्र हो।
भिक्षुओं को सम्बोधित करते हुए भगवान बुद्ध ने कहा-
"सचे लभेथ निपकं सहायं,
सद्धिंचरं साधुविहारिधीरं।
अभिभुय्य सब्बानि परिस्सयानि,
चरेय्य तेनत्तमनो सतीमा।।"
- यदि सचमुच परिपक्व, साधु वृत्ति का धीर, गंभीर सहायक साथी मिले, तो सब बाधाओं को हटाकर प्रसन्न चित्त से स्मृतिमान हो, उसके साथ विचरण करें।
और यदि कल्याणकारी मित्र न मिले तो-
"राजाव रट्ठं विजितं पहाय,
एको चरे मातङ्गरञ्ञेव नागो।"
- विजित राष्ट्र को त्याग ने वाले राजा की भाँति जंगल में एक गजराज जैसे अकेला विचरे।
बोधिसत्त्व बाबासाहेब डो.आंबेडकर ने राष्ट्र को संविधान के साथ-साथ बुद्ध धम्म दिया है। भारत को प्रबुद्ध भारत बनाने के लिए बाबासाहेब ने संविधान के आमुख में बुद्ध धम्म के तत्वों को समाहित किया है।
यथा- गणतंत्र, प्रजातंत्र, स्वतंत्रता, समानता, न्याय, बंधुता, विश्वास ।
इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जागृत रहना और प्रयासरत रहना भारत के प्रत्येक नागरिक का परम कर्तव्य है। उनके लिए खास जरुरत है जो लोग स्वतंत्रता, समानता और न्याय से वंचित है।
बुद्ध धम्म ही लोकतंत्र को सुरक्षित रख सकता है। इसलिए ऐसे कल्याणमित्र को चुनें, जो धम्म के प्रचार-प्रसार में सहायक हो।
नमो बुद्धाय🙏🙏🙏
20.05.2024
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