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हमारी आगामी पीढ़ी के सुरक्षित जीवन हेतु पर्यावरण की रक्षा का संकल्प ले

भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का भाव अतिप्राचीन है।हमारे पुर्वजों ने प्रकृति को देवों का स्थान दिया है। यह समस्त जंगल वन हमारे फेफडे है ।मानव ने विगत 400 वर्षों से अपनी संपत्ति समझ कर इसका दुरुपयोग ही किया है। वायु प्रदूषण बढ़ा ,युद्ध हुए, नए उत्पादन बढ़े,लाखों की जनसंख्या 6 अब तक पहुंच गई। हर एक व्यक्ति ने 100 पेड़  लगाए तो ही हमारी पृथ्वी बचेगी। पर्यावरण संरक्षण यह हमारी तथा हम सब की जिम्मेदारी व कर्तव्य है ।
20 वर्षों में जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि ,शहरीकरण,जंगलों की कटाई, कॉन्क्रीट के जंगल, निरंतर बोरवेल्स की खुदाई से जलस्तर में कमी, ईंधनों के अंधाधुंध प्रयोग से ग्रीनहाउस गैसेस का उत्सर्जन आदि कारणों से हमारे वायुमंडल का संतुलन बिगड़ गया। प्रदूषण में वृद्धि होकर ग्लोबल वार्मिंग ,तापमान काफी बढा ।इसके चलते पर्यावरण का ऋतु चक्र बिघड़कर  समय_असमय  वर्षा में परिवर्तन होने लगा।
महामार्ग निर्माण, सड़कों के चौड़ाइकरण के दौरान हजारों _लाखों हरे_ भरे वृक्षों की बलि दी गई । गडरों, फैक्ट्रीयों के प्रदूषित पानी से नदियों का प्रदूषण बढ़ गया। वाहनों की संख्या तेजी से बढ़कर वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि हुई। अतः हमें अभी से वन_जल_ पर्यावरण को बचाने हेतु सक्रिय रूप से भगीरथ प्रयास शुरू करने होंगे।वृक्ष हमारे धरती के आभूषण है,हमारे ऑक्सीजन बैंक है,इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अपनी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध, प्रदूषणमुक्त ,प्लास्टिकमुक्त पर्यावरण,ये विरासत,धरोहर देकर जाना है। इसी में हमारी और मानव जाति की भलाई है।आओ विश्व पर्यावरण दिवस की इस शुभ बेला में इन्हें बचाने और संरक्षण का हम सब मिलकर संकल्प ले।

                        *मो सईद शेख*(संस्थापक/अध्यक्ष)
ग्रीन हेरिटेज,सामाजिक,पर्यावरण फाउंडेशन,भंडारा

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